भारत, रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच त्रिपक्षीय वार्ता!

प्रकाश न्यूज़ ऑफ़ इंडिया |PrakashNewsOfIndia.in|
Last Updated: Tue, 16 Jun 2020; 06:15:00 AM

विदेश मंत्री एस जयशंकर 22 जून को चीन और रूस के विदेश मंत्रियों के साथ त्रिपक्षीय वार्ता कर सकते हैं। राजनयिक सूत्रों ने कहा कि रूस की पहल पर बुलाई गई इस बैठक में कोरोनोवायरस महामारी से निपटने और सामान्य सुरक्षा के खतरों से निपटने के तरीकों जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। बता दें कि तीनों देशों के बीच यह बैठक पहले मार्च में होने वाली थी लेकिन कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते इसे स्थगित कर दिया गया था। 

सूत्रों ने कहा कि इस बैठक के दौरान भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद पर चर्चा होने की संभावना नहीं है क्योंकि आम तौर पर त्रिपक्षीय प्रारूप में द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा नहीं की जाती है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एक वरिष्ठ राजनयिक ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा, यह तीनों देशों के लिए एक साथ आने और क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान करने के लिए हमारे विचारों को एक साथ करने के लिए क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करने का एक अच्छा अवसर होगा।

बता दें कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास कुछ क्षेत्रों में पांच सप्ताह से ज्यादा समय से भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव का माहौल है। दोनों देश विवाद को सुलझाने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत कर रहे हैं। रूस इस मामले में पहले ही कह चुका है कि भारत और चीन को ये सीमा विवाद आपसी बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए। रूस ने कहा था कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए दोनों देशों के बीच रचनात्मक संबंध बेहद महत्वपूर्ण हैं। 

रूस के उप मिशन प्रमुख रोमन बबुश्किन ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि हमारे भारतीय और चीनी मित्रों के बीच रचनात्मकता संबंध स्थिरता और सतत विकास पर क्षेत्रीय संवाद को बढ़ावा देने के लिए अहम हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि रूस शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), ब्रिक्स और रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय मंच की आगामी बैठकों में भारत और चीन के साथ अपनी बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक था।

उम्मीद जताई जा रही है कि इस त्रिपक्षीय वार्ता में तीनों विदेश मंत्री इस साल फरवरी में अमेरिका द्वारा तालिबान के साथ शांति समझौते के बाद अफगानिस्तान में बन रही राजनीतिक परिस्थितियों पर भी चर्चा कर सकते हैं। बता दें कि अमेरिका ने तालिबान के साथ नौ फरवरी को एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें अमेरिका ने अपने सैनिकों को करीब 18 साल से युद्ध की स्थिति झेल रहे अफगानिस्तान से वापस बुलाने की बात कही थी। 

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